What is TB in Hindi : आप सभी लोगों ने टीबी डिजीज के बारे में तो सुना ही होगा टीबी का पूरा नाम Tuberculosis होता है लेकिन क्या आपको पता है कि ये डिज़ीज़ कैसे होती है बैक्टीरिया से, वाइरस से या फिर किसी और चीज़ से, तो अगर आप इसके बारे में पूरी जानकारी लेना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको टीबी डिजीज के बारे में पूरी जानकारी देंगे.

टीबी क्या है?
टीबी का फुल फॉर्म Tuberculosis होता है जिसे तपेदिक और छह रोग भी कहते हैं और ये एक बैक्टिरीअल इन्फेक्शन है टीबी जिस बैक्टीरियम से होता है उसका नाम है माइक्रो बैक्टिरयम ट्यूबरक्लोसिस, हवा के जरिये स्प्रेड होने वाला ये इन्फेक्शन लंग्स को अफेक्ट करता है लेकिन कई बार ये ब्रेन, किडनी, स्पाइन जैसे ऑर्गन्स को भी अफेक्ट कर सकता है और अगर इसका इलाज टाइम पर ना लिया जाए तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है एक इंसान दूसरे इंसान में स्प्रेड होने वाला ये इन्फेक्शन बहुत तेजी से फैल सकता है क्योंकि इसके स्प्रेड होने का तरीका बहुत ही कॉमन थे खांसते और छींकते समय हवा में जो ड्रॉप्लेट्स रिलीज होते है उन्हीं से यह दूसरे लोगों तक पहुँच जाता है.
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इसके अलावा बात करने गाना गाने और हंसने के दौरान भी ये जम्स हवा में रिलीज हो सकती है हालांकि ये इतनी आसानी से स्प्रेड नहीं होता है कि एक पर्सन ने खासा या छींका और इन्फेक्शन तुरंत दूसरे इंसान तक चला गया असल में टीबी पेशेंट के कॉन्टैक्ट में लंबे समय तक रहने से ये स्प्रेड हो सकता है और ऐसे लोगों में ये इन्फेक्शन ट्रांसफर होने के चान्सेस ज्यादा होते हैं जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है.
टीबी इन्फेक्शन के केसेस साल 1985 से बढ़नी शुरू हुई जिसका एक कारण HIV वायरस रहा एचआइवी जो एड्स का कारण बनता है एक पर्सन की इम्युनिटी को कमजोर बना देता है और ऐसे में टीबी जम्स से बॉडी फाइट नहीं कर पाती इसलिए जब HIV का वाइरस सामने आया तो उसके साथ टीबी इन्फेक्शन का ग्राफ भी बढ़ता हुआ नजर आया वैसे टीबी के कई सारे फॉर्म्स होते है जैसे Latent टीबी और ऐक्टिव टीबी आइए इनके बारे में जानते हैं.
Latent टीबी और ऐक्टिव टीबी क्या है और इसमें क्या अंतर होता है?
अगर एक पर्सन को टीबी बैक्टीरियम इन्फेक्शन हो गया है लेकिन उसमें कोई सिम्पटम्स आपको नजर नहीं आ रहे हैं जैसे कई हफ्तों तक कफ बना रहा तो उस पर्सन को इनऐक्टिव ट्यूबरक्लोसिस है जिसे लैटिन ट्यूबरक्लोसिस इन्फेक्शन यानी लैटिन टीबी भी कहते हैं ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग होती है जब उनकी साँस के साथ ये बैक्टीरिया बॉडी में जाता है तो उनका इम्यून सिस्टम इस बैक्टीरिया से फाइट करके उसकी ग्रोथ को रोक देता है तो ऐसे में ये बैक्टीरिया बॉडी में इनऐक्टिव फॉर्म में यानी लेटेन्ट टीबी के फॉर्म में बना रहता है ये इनऐक्टिव बैक्टीरिया बॉडी में जिंदा रहते हैं और बाद में ऐक्टिव हो सकती है कुछ लोगों को पूरी जिंदगी लेटेंट टीवी इन्फेक्शन रह सकता है जो कभी ऐक्टिव भी ना हो और टीबी में डेवेलप भी ना हो ये बहुत हद तक लोगों की इम्युनिटी पर डिपेंड करता है.
क्योंकि अगर इम्यून सिस्टम वीक हुआ और बैक्टीरिया ग्रोथ को रोक नहीं पाया तो लेटिन टीबी ऐक्टिव टीबी में बदल सकता है ऐसे लोग जिन्हें लेंटेंट होता है वह दूसरों में टीबी के जम्स स्प्रेड नहीं कर सकती और अगर लैटिन टीबी इन्फेक्शन रखने वाले पर्सन के साथ आप ज़्यादा टाइम बिताया है तो भी आपको टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि ये टीबी इन्फेक्शन एक से दूसरे में स्प्रेड नहीं होता है.
दूसरी तरफ जब किसी पर्सन को टीबी इन्फेक्शन होता है और उसके सिम्पटम्स भी नजर आने लगते है तो उसे ऐक्टिव ट्यूबरक्लोसिस यानी ऐक्टिव टीबी हुआ होता है जैसे ट्यूबरक्लोसिस डिज़ीज़ कहा जाता है ये टीबी डिज़ीज़ एक पर्सन से दूसरे में हो सकती है इनऐक्टिव और ऐक्टिव टीबी टाइप्स के अलावा पल्मोनरी (Pulmonary) ट्यूबरक्लोसिस, एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस और सिस्टेमैटिक मिलिटरी ट्यूबरक्लोसिस भी हुआ करते हैं.
पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस लंग टीबी होता है जबकी एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस दूसरे बॉडी पार्ट्स को अफेक्ट करने वाला टीबी है वहीं सिस्टेमैटिक मिलिट्री ट्यूबरक्लोसिस पूरी बॉडी में स्प्रेड हो सकता है और लिवर इन्फेक्शन ब्रेन इंफ्लेमेशन जैसी कंडिशन्स को पैदा कर सकता है अब भी ये डिफरेंट फॉर्म्स जान लेने के बाद इसके सिम्टम्स को भी जानना जरूरी है.
एक्टिव टीबी होने के सिम्पटम्स क्या है?
ऐक्टिव टीबी होने पर ये सिम्पटम्स नज़र आते हैं-
- थ्री वीक्स से ज्यादा टाइम तक कफ रहना
- चेस्ट में पेन रहना
- कफ के साथ ब्लड आना
- थकान रहना
- भूख नहीं लगना
- वजन कम होना
- ठंड लगना
- फीवर होना
- रात में पसीना आना
ऐसी सारे सिम्पटम्स नज़र आए तो डॉक्टर से कंसल्ट किया जाना चाहिए ऐसे लोगों में टीबी का रिस्क ज्यादा रहता है जिन्हें डायबीटीज़ हो, किडनी डिज़ीज़ की एंड स्टेज हो, कैन्सर हो, कुपोषण हो, एड्स हो, जो लंबे टाइम से टोबैको या अल्कोहल का यूज़ कर रहे हैं बुजुर्गों और बच्चों में भी इसका रिस्क ज्यादा रहता है ऐसी मेडिकेशन जो इम्यून सिस्टम को सप्रेस कर देती है उन्हें लेने वाले लोगों में भी ऐक्टिव टीबी डिज़ीज़ डेवलप होने का रिस्क बना रहता है.
जिनमें रूमेटॉयड और थ्राइटेस, क्रोंस डिजीज, सोराइसिस और लूपस इन्क्लूड है कुछ ऐसी कंडीशन हो सकती है जिनमें रहते हुए एक पर्सन को टीबी टेस्ट करवा लेना चाहिए जैसे की जो पर्सन ऐसी जगह रहता हो या काम करता हो जहाँ टीबी का हाई रिस्क हो जैसे जेल, हॉस्पिटल्स, शेल्टर्स और अदर हेल्थकेयर फैसिलिटीज़ में जो माइक्रो बैक्टिरियोलॉजी लैबोरेट्री में काम करता है, जो ऐसे पर्सन के कॉन्टैक्ट में रहता है, जिसे टीबी हो इम्यून सिस्टम हो और जिन लोगों ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाया.
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टीबी डायग्नोसिस के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं?
टीबी के लिए दो तरह के स्क्रीनिंग टेस्ट होते हैं Mantoux Tuberculin Skin test (TST) और ब्लड टेस्ट जो Interferon Gamma Release Assay (IGRA) कहलाता है इनके बाद इन्फेक्शन ऐक्टिव है या नहीं और क्या उस पर्सन के लंग्स इन्फेक्टेड है ये जानने के लिए कुछ और टेस्ट भी किए जाते हैं जैसे- लैब टेस्ट ऑन स्पुटम ऐंड लंग fluid, चेस्ट एक्स रे और कंप्यूटर टोमोग्राफी यानी सिटी स्कैन, ऐसे लोगों को डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए और प्रॉपर इलाज लेना चाहिए इलाज न होने की कंडीशन में स्पाइनल पेन, जॉइंट डैमेज, लिवर और किडनी प्रॉब्लम, हार्ट डिसॉर्डर्स जैसे कॉम्प्लिकेशन्स भी हो सकते हैं.
टीबी के इलाज के लिए जो दवाएं दी जाती है कुछ लोगों में उसके साइड इफेक्ट्स भी होने लग जाती है जैसे की स्किन रैशेज, ईचिंग जैसे रिएक्शन्स, नॉसिया, अपसेट इस्टेमा, जॉइंडिस और डार्क यूरिन आदि.
टीबी से कैसे बचा जाए?
टीबी से बचने के लिए आपको ये गाइडलाइन फॉलो करना चाहिए जैसे अपने हाथों को अच्छी तरह धोते रहना, अपने मुँह को कवर कर के खासना या छींकना, दूसरे लोगों से क्लोस कॉन्टैक्ट अवॉयड करना, बीमार होने की कंडीशन में वर्क या स्कूल जाना अवॉइड करना, इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखें और अगर लैटिन टीबी इन्फेक्शन टेस्ट पॉज़िटिव आए तो प्रॉपर इलाज लेकर टीबी के रिस्क को कम करना चाहिए ताकि वो ऐक्टिव टीवी ना बन सके और फिर ऐक्टिव टीबी ही संक्रामक होता है जो की एक से दूसरे पर्सन में स्प्रेड होता है और अगर ऐक्टिविटी भी डायग्नोस हो तो डरे नही इलाज करवाए जिससे कुछ ही हफ्तों में आप बेहतर हो जाए और इस इलाज के दौरान अपनी फैमिली और दोस्तों को बीमार होने से बचाने के लिए घर पर रहे रूम को वेंटिलेटर रखें क्योंकि छोटे बंद कमरे में टीबी जंप्स तेजी से और आसानी से स्प्रेड हो सकते हैं इसलिए हवादार कमरे में रहे.
बात करते समय हंसते समय खांसते और छींकते समय अपने मुँह को टिशू से कवर रखें और डर्टी टिशू को कवर करके दूर फेंके, कम से कम इलाज के फर्स्ट तीन हफ्तों तक दूसरे लोगों के बीच रहते हुए फेस मास्क का यूज़ करे ताकि ट्रांसमिशन का रिस्क कम हो सके ऐसा करके आप टीबी स्प्रेड का रिस्क को बहुत हद तक कम कर देंगे कुछ कन्ट्रीज में टीबी की वैक्सीन भी यूज़ की जाती है जिसका नाम Bacilus Calmette-Guerin (BCG) है ये वैक्सीन है ये वैक्सीन अक्सर हाई टीबी रिस्क वाली कन्ट्रीज में चिल्ड्रेन को दी जाती है जैसे इंडिया इसके अलावा अदर वैक्सीन्स पर रिसर्च ऐंड ट्रायल जारी है पास्ट में टीबी से मरने वालों की संख्या पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा हुआ करती थी.
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लेकिन जैसे जैसे लिविंग कंडीशन्स में सुधार हुए और ऐंटीबायॉटिक्स डेवलप हुए टीबी के केसेस में कमी आने लगी लेकिन आज भी सिचुएशन ऐसी है कि टीबी दुनिया में हर कहीं हैं जिनमें से टीबी के टोटल पेशेंट्स में ऑलमोस्ट हाफ टीबी पेशंट्स 8 कन्ट्रीज में मौजूद है यानी बांग्लादेश, चाइना, इंडिया, इंडोनेशिया, नाईजीरिया, पाकिस्तान, फ़िलीपिन्स और साउथ अफ्रीका भी, वर्ल्ड पॉपुलेशन के पॉइंट ऑफ क्यूँ से अगर देखा जाए तो लगभग एक चौथाई आबादी टीबी बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड हैं जिनमें से केवल 5 से 15 परसेंट लोगों को ऐक्टिव टीबी डिज़ीज़ है जबकि बाकी लोगों में लेटेंट टीबी इन्फेक्शन है हालांकि अच्छी बात है कि टीबी के दोनों फार्म यानि लेटेंट टीबी और ऐक्टिव टीबी को एंटीबायोटिक्स की मदद से ट्रीट किया जा सकता है तो टीबी एक सिरियस डिज़ीज़ तो है लेकिन अगर सही तरह से ध्यान रखा जाए तो टीबी होने से और उसके स्प्रेड होने से बचाव किया जा सकता है.
आज आपने क्या सीखा?
तो आज इस आर्टिकल में हमने आपको What is TB in Hindi से रिलेटेड पूरी इनफार्मेशन दी है अगर आपको इससे संबंधित या किसी अन्य टॉपिक के बारे मे कोई और जानकारी चाहिए तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं हम आपके प्रश्न का उत्तर जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे.