Biofloc Fish Farming क्या है? | What is Biofloc Fish Farming in Hindi

What is Biofloc Fish Farming in Hindi : आज के टाइम में ऐनिमल प्रोटीन की डिमांड तेजी से बढ़ रही है तो ऐसे में क्वालिटी प्रोटीन प्रोवाइड कराना बड़ी बात है तो ऐसे में कौन इस प्रॉब्लम का सेल्यूशन निकाल सकता है ऐक्वा कल्चर, जी हाँ ऐक्वा कल्चर ऐनिमल प्रोटीन प्रोवाइड करा कर हेल्थ को प्रोमोट करता है और एम्प्लॉयमेंट और इकोनॉमिक ग्रोथ भी जेनरेट करता है इसके साथ ही इंडिया में एक्वाकल्चर प्रोडक्शन का बहुत ब्राईट स्कोप है.

क्योंकि इंडिया एक्वाकल्चर प्रोडक्शन मैनेजर कॉन्ट्रिब्यूटर्स में से एक है वैसे आपको क्या लगता है क्या फिश प्रोटीन  का एक बड़ा स्रोत है जी हाँ, फिश तो प्रोटीन के सबसे अच्छे सोर्सेस में से एक है और इसमें प्रोटीन के अलावा भी बहुत से न्यूट्रिअन्स और मिनरल्स भी पाए जाते हैं यानी फिश फार्मिंग जो की एक्वा कल्चर का हिस्सा है उसके जरिये आसानी से प्रोटीन डिमांड पूरी की जा सकती है.

What is Biofloc Fish Farming in Hindi
What is Biofloc Fish Farming in Hindi

लेकिन क्या कोई ऐसी टेक्निक है जिससे गुड क्वालिटी फिश भी मिल जाये तो ऐसे प्रोसेस में होने वाला वेस्ट भी मैनेज किया जा सके और फिश फारमर्स को भी प्रॉफिट मिल सके जी हाँ इसके लिये बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी है जो एक इन्वाइरन्मेन्टल फ्रेंडली एक्वाकल्चर टेक्नीक है इस टेक्नोलॉजी को न्यू ब्लू रेवोल्यूशन कहा जाता है क्योंकि इसमें कल्चर मीडियम में न्यूट्रिअन्स लगातार रिसाइकल डॉट भी यूज़ होते रहते हैं.

जिसमें मिनिमम या ज़ीरो वाटर एक्स्चेंज होता है ये बायोफ्लॉक सिस्टम्स फिश फारमर्स के बीच काफी फेमस हो गए हैं क्योंकि इनमें वेस्ट को मैनेज करना और एक्वाकल्चर वॉटरमैन को स्टोर करना पॉसिबल है इन सिस्टम्स को ऐक्टिव सस्पेंशन पॉंन्डस, ग्रीन सो पॉंन्डस और हेट्रोट्रॉपिक बोनस भी कहा जाता है ये सिस्टम बहुत यूज़फुल हैं और बायो फ्लॉक फार्मिंग करके आप इससे बहुत प्रॉफिट कमा सकते हैं इसीलिए आज हम आपको बायोफ्लॉक फार्मिंग के बारे में पूरी जानकारी देंगे वो कैंडिडेट जो बायोफ्लॉक फॉर्मिंग के बारे में पूरी जानकारी चाहते है वे हमारे What is Biofloc Fish Farming in Hindi आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.

बायोफ्लॉक फॉर्मिंग कैसे काम करती है और इसका प्रॉफिट क्या है?

बायो फ्लॉक टेक्नोलॉजी जिसकी शोर्ट में DTB काफी उपयोग की जाती है इसमें इन्टेन्सिव एक्वा कल्चर सिस्टम में वाटर क्वालिटी को इम्प्रूव करने, वेस्ट ट्रीटमेंट करने और डिज़ीज़ प्रिवेन्शन करने के लिए बैक्टिरिया एल्गी और प्रोटोज़ोआ के ऐंग्री को पर्टिकुलर ऑर्गैनिक मेटल के साथ एक मैट्रिक्स में रखा जाता है ट्रेडिशनल फिश फोर्मिंग थर्ड में फिश को वोटर में जो फील्ड सप्लाई किया जाता था वो उसका बहुत ही थोड़ा अमाउंट कंस्यूम करती थी और वेस्ट हुआ फीट डिग्रेट होकर टॉक्सिक मेटाबोलाइटिस में बदल जाता था.

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इससे ना केवल वॉटर पोल्यूट होता था बल्कि इसकी स्मेल से आसपास का माहौल भी अफेक्ट होता था अब ये तो सभी जानते हैं कि खाना सभी के लिए कितना जरूरी है इसलिए फिश फॉर्मिंग में भी फीड इनिशियल पार्ट होता है फिश की ग्रोथ और डिवेलपमेंट के लिए जरूरी है कि उन्हें रोजाना फीड का रेग्युलर अमाउंट मिलता रहे इस फीड को खरीदना काफी एक्स्पेन्सिव रहता है और फीड का काफी बड़ा अमाउंट तो वेस्ट ठीक हो जाता है अब ऐसे में फारमर्स को प्रॉफिट नहीं सिर्फ लॉस होता है तो ऐसे में बायो फ्लॉक फिश फार्मिंग (What is Biofloc Fish Farming in Hindi) सिस्टम फिश फॉर्मर्स की मदद करती है.

क्योंकि इन सिस्टम्स में वेस्टेड फ़ीड और फिश स्क्रीट यानी अपशिष्ट को वॉटर इकोसिस्टम में फीड में कन्वर्ट कर दिया जाता है और इस फीड को फिश कंस्यूम कर सकती है तो ऐसा इस बायोफ्लॉक में क्या होता है असल में माइक्रो ओर्गानिस्म फंगी आदि एक बायो फ्लॉक बनाती है जो इन ऑर्गेनिक वेस्ट को ऑब्जर्व कर लेता है और वाटर क्वालिटी को इन्हेंस करता है और इस तरह वाटर पोलुशन की प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है और बस इतना ही नहीं फिश फॉर्मर्स को फीड का बहुत ज्यादा खर्चा भी नहीं करना पड़ता और बहुत आसानी से फीड तैयार भी हो जाती है.

इस फीडिंग में माइक्रो ओर्गानिस्म सबसे इम्पोर्टेन्ट रोल प्ले करते हैं और ऐसे कल्चर्ड एनिमल्स की ओवरऑल हेल्थ को मेनटेन करते हैं बायो फ्लॉक बैक्टीरिया का फ्लॉक्स होता है जो एक न्यूट्रिअन्ट रिच फिश फूड होता है और पूरे दिन आसानी से अवेलेबल होता है एक बायो फ्लॉक सिस्टम बनाने के लिए एक बेसिक फैक्टर वो फिसेस होती हैं जिन्हें कल्चर किया जाता है और बायोफ्लोक्स सिस्टम और उन फिसेस के साथ बेस्ट काम करता है.

जो फ्लॉक के डायरेक्ट कॉन्सेप्शन से कुछ न्यूट्रिशनल बेनेफिट्स गेन कर सकते हो तू ऐसे स्पेशियस वाटर में हाई सॉलिक्स कॉन्सन्ट्रेशन को टॉलरेट कर सकती है और जनरली पुअर वॉटर पॉलिटी को भी टॉलरेट कर सकती है ऐसे ही कुछ स्पीशीज़ है एयर ब्रीथिंग फिश जैसे सिंघी, मागुर यानि क्लारियस बट्रास्चर्स, Pabda यानि ओम्पोक pabda, एनाबस यानी एनाबस टेस्टूडिनर्स, और पंगासिउस आदि, इसी तरीके से नर एयर ब्रीदिंग फिशेस है.

जैसे कॉमन कार्प, रोहू, तिलापिया और मिल्क विश आदि तो अब जहाँ खुले तालाब में किए जाने वाले फिश फार्मिंग मैथर्ड में पोल्यूटेड वोटर को फ्रेश वाटर से रिप्लेस करने के लिए एक्स्पेन्सिव वाटर एक्स्चेंज सिस्टम यूज़ किए जाते हैं और अगर ऐसा ना किया जाए तो पैथोजन्स और टॉक्सिक ऑर्गेनिक्स के एक्स्पोज़र से डिज़ीज़ फैल जाती है और मछलियों के मरने से फार्मर्स को फाइनेंशियल लॉस उठाना पड़ता है वहीं बायोफ्लॉक सिस्टम में प्रोबायोटिक्स और माइक्रोब्स का यूज़ किया जाता है जो झींगा जैसे स्पीशीज़ में स्पेसिफिक इम्युनिटी प्रोमोट करने के साथ पैथोजेनिक बैक्टीरिया को भी रिड्यूस करते हैं.

इसमें वोटर एक्स्चेंज सिस्टम और उससे जुड़ी अदर ऑपरेशनल कॉस्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है और इसलिए बायो फ्लॉक फिश फार्मिंग सस्टेनेबल है और मैक्सिमम प्रोडक्टिविटी प्रोवाइड कराती है इसके अलावा ये इको फ्रेंडली भी है साथ ही फिशरीज़ इंडस्ट्री की ग्रोथ को भी बूस्ट करती है और इसीलिए इंडिया की कई स्टेट्स फिश और शिप फार्मिंग आउटपुट को इन्हेंस करने के लिए क्वालिटी बूस्ट करने के लिए और फिश फार्मर्स को ज्यादा फायदा दिलाने के लिए यूज़ की जाती है.

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इस बायोफ्लॉक सिस्टम में आर्टिफिशियल टैंक्स में फिश प्रोड्यूस की जा सकती है और इसमें फिश फार्मिंग की ट्रेडिशनल फॉर्मिंग के कंपैरिजन में कम स्पेस की जरूरत पड़ती है एक्सपर्ट्स के अनुसार चार स्मॉल टैंक्स में 2000 किलोग्राम फिश ग्रो करने के लिए 150 से 200 स्क्वेयर मीटर एरिया स्फीसियेंट मिशन होगा जिसमें सफिसियेंट वाटर सप्लाइ हो इस टेक्नोलॉजी से लैन्ड और वोटर यूज़ रेट्स में भी सुधार होता है और क्योंकि ये सिस्टम लिमिटेड या ज़ीरो वोटर एक्स्चेंज पर डिपेंडेंट होता है.

इसलिए ओवरऑल इन्वायरनमेंट पर इसका इम्पैक्ट बहुत ही कम होता है यानी बायो फ्लॉक का यूज़ करने का मतलब होगा हायर प्रोडक्टिविटी हायर बायोसेक्योरिटी डिजीज से प्रिवेन्शन, कैप्चर फिशरीज़ का प्रेशर रिड्यूस, फीड कनवर्ज़न में सुधार, वाटर क्वालिटी, वाटर यूज़ एफिशियंसी और लैंड यूज़ एफिशियंसी में भी इन्क्रीज़ तो बायो फ्लॉक के इतने सारे ऐडवांटेजेस होते हैं.

बायोफ्लॉक फार्मिंग के नुकसान क्या है?

बायोफ्लॉक सिस्टम को वोर्म पिरियड की जरूरत पड़ती है इसका आउटपुट सीज़न्स के बीच हमेशा कॉन्स्टेंट नहीं रहता और इस प्रोसेस में एनर्जी कॉस्ट भी एक्स्पेक्टेशन से ज्यादा आ सकती है तो ये हो सकते हैं बायोफ्लॉक के नुकसान लेकिन इन कमियों के आगे बायोफ्लोक्स सिस्टम के बेनिफिटस काफी ज्यादा नजर आ रही है इसलिए इसे एक अच्छी फिश फार्मिंग टेक्निक कहा जाता है.

आज आपने क्या सीखा?

आज हमने आपको एक ऐसे फिश फार्मिंग टेक्नीक (What is Biofloc Fish Farming in Hindi) के बारे में बताया है जो प्रोटीन की डिमांड पूरी करने के साथ साथ फिश फार्मर्स को भी प्रॉफिट दिलाने वाली है ऐसे में अगर आप फिश फार्मिंग में इंट्रेस्ट रखते हैं तो इस बायोफ्लॉक फार्मिंग के बारे में सोच सकते हैं.

उम्मीद करते है कि ये जानकारी आपको पसंद आई होगी साथ ही अगर कोई व्यक्ति फिश फार्मिंग के बारे में जानकारी चाहता है तो उसके साथ भी हमारे इस आर्टिकल को जरुर शेयर करें.

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