Spinal muscular atrophy kya hai- आप में से बहुत लोगों को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के बारे में पता होगा लेकिन कुछ लोगों को इसके बारे में नही पता होगा कि ये क्या होता है इसके लक्षण क्या होते है और इसका इलाज क्या है, इसीलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से रिलेटेड पूरी जानकारी देंगे.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है?

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) एक हेरीडेट्री ग्रुप की बीमारी है जो एसएमए-1 जींस की कमी से होती है इसकी वजह से ब्रेन्स की मोटर न्यूट्रोन नर्व सेल्स की उक्षेय को डिस्ट्रॉय कर देती है और हमारी ब्रेन की ये मोटर न्यूट्रोन नर्व सेल्स कई तरह के स्केल्टर मस्कुलर एक्टिविटी को प्रमोट करता है जैसे- एक बच्चे के जन्म के बाद उसकी ग्रोथ (बच्चे के चलने, बोलने, साँस लेने, निगलने) में ये मदद करती हैं. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में से 95% बच्चे 18 माह होने से पहले ही उनकी डेथ हो जाती है.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण क्या है?
एक सर्वे के अनुसार हर 10 से 15 हजार बच्चों में से 1 बच्चे को ये बीमारी हो सकती है और इस बीमारी से पीड़ित बच्चे के मसल्स में कोई स्ट्रेंथ नही दिखाई देती है. उनकी स्पाइनल कोड एकदम बेजान होती है जिस तरफ शरीर की डेंसिटी ज्यादा होती है उस तरफ उनका सिर लटका हुआ दिखाई देता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चा अपनी एक्टिविटी भी खुद परफॉर्म नही कर पाता है ऐसे में टाइप-1 से पीड़ित बच्चे को यूज्वली 3 से 4 महीने के बाद डाइग्नोस किया जा सकता है क्युकी 3 से 4 महीने में बच्चे के सिर में स्ट्रेंथ आ जाती है और वो आसानी से सिर को होल्ड कर सकते हैं लेकिन इस बीमारी से ग्रसित बच्चे ये सभी एक्टिविटी परफॉर्म नही कर पाते हैं.
इस बीमारी की वजह से बच्चे के शरीर की सिग्नलेंस सिस्टम कमजोर हो जाती है जिसके आगे चलकर बच्चे को साँस लेने में दिक्कत आने लगती है क्युकी हमारे ब्रेन की मोटर न्यूट्रोन नर्व सेल्स डायाफ्राम (diaphragm) को भी मैसेज भेजती है कि वो लंग्स को ब्रीथिंग में मदद करे लेकिन जब डायाफ्राम को ब्रेन सिग्नल नही मिलती तो उसकी परफॉरमेंस धीरे-धीरे कम होने लगती है और बच्चे को साँस लेने में दिक्कत आने लगती है और आगे चलकर बच्चे की मौत हो जाती है.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी होने का कारण क्या है?
ये बीमारी होने का सही कारण अभी तक मेडिकल साइंस में पता नही लगाया जा सका है लेकिन इसका सबसे मेजर रीज़न जींस या जेनेटिक प्रॉब्लम होती है जैसे- अगर बच्चे पैरेंट्स में किसी एक को भी जीन्स इम्बैलेंश की प्रॉब्लम है तो उनके बच्चे को ये प्रॉब्लम हो सकती है इसके अलावा जिनके पैरेंट्स ज्यादा एन्ग्रेशिव या डोमिनेंट होते हैं उनमें भी ब्रेन्स के गलत सिग्नल्स हो सकती है और इसके कारण ही बच्चे में ये बीमारी होने के चांसेस होते हैं.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी का इलाज क्या है?
अगर किसी बच्चे में ये बीमारी होती है तो उसको बचाने के लिए एक इंजेक्शन दिया जाता है जिसकी कीमत 16 करोड़ रूपये है, क्या आपको पता है कि उसमे ऐसा क्या होता है कि इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ की बताई जा रही है. इस इंजेक्शन का सिर्फ एक डोज दिया जाता है जिसके द्वारा जीन्स रिप्लेसमेंट्स थेरेपी की जाती है और आज के समय में पूरी दुनिया में ये इंजेक्शन बनाने वाली एक ही मेडिकल कंपनी है.
इस इंजेक्शन को यूएस से मंगाया जाता है और एक्सपर्ट्स डॉक्टर की देखरेख में ही ये इंजेक्शन बच्चे को लगाया किया जाता है. ये इंजेक्शन लगने के कुछ समय बाद बच्चे में तेजी से जीन डेवलपमेंट होने लगते हैं और उसमे ये प्रॉब्लम क्योर हो जाती है.
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आज आपने क्या सीखा?
हमे उम्मीद है कि हमारा ये (Spinal muscular atrophy kya hai) आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया होगा और आपके लिए काफी हेल्पफुल भी होगा इसमें हमने आपको स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से रिलेटेड सभी जानकारी दी है जैसे- स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है? स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण क्या है? स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी होने का कारण क्या है? और स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी का इलाज क्या है? आदि.
हमारी ये (Spinal muscular atrophy kya hai) जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ भी कीजियेगा.