Seed Certification (बीज प्रमाणीकरण) क्या है? | Seed certification kya hai

Seed certification kya hai: बीज प्रमाणीकरण प्रक्रिया शुरू करने का मुख्य उद्देश्य किसानो तक अच्छी गुणवत्ता के बीज और प्रवर्धन प्रदान करना होता है दोस्तों आप में से बहत से स्टूडेंट्स को इसके बारे में पूरी जानकारी नही होगी इसीलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको बीज प्रमाणीकरण क्या है और इसका प्रमुख उद्देश्य क्या है आदि के बारे में पूरी जानकारी देंगे.

Seed certification kya hai
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सीड सर्टिफिकेशन (बीज प्रमाणीकरण) क्या होता है?

बीच प्रमाणीकरण एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके दौरान बीज की गुणवत्ता को अच्छा करने वाले सभी कारकों को प्रभावित रूप से नियंत्रित किया जाता है. भारत में बीज प्रमाणीकरण की शुरुआत साल 1959 में मक्का बाजरे और ज्वार के शंकर बीच से हुई थी साल 1966 में सांसद ने भर्ती बीज अधिनियम भी पारित किया जिसमें स्टेट लेवल पर बीज प्रमाणीकरण संस्थाएँ स्थापित करने की व्यवस्था भी की गई थी 1971 में है बीच मानक बनाए गए और बीज प्रमाणीकरण के लिए अलग अलग राज्यों में है स्टेट सीड सर्टिफिकेशन एजेंसी की स्थापना भी की गयी

बीज प्रमाणीकरण का मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल की उन्नत किस्मों की उच्च गुणवत्ता का बीज तथा प्रवर्धन प्रदान करना होता है जिसके गाने और वितरण में पूर्वानुमान से एक सार्वभौमिक रखी गयी केवल वे किस में जिनका जनाधार वे उत्कृष्ट होता है सिर्फ उन्हीं बीजों का प्रमाणीकरण किया जाता है बीज प्रमाणीकरण की कितनी शुद्धता व अंकुरण क्षमता बहुत अधिक होती है साल 1886 में स्वीडन सीड एसोसिएशन की स्थापना की गई थी जिसका मुख्य उद्देश अच्छी किस्मों का विकास तथा उनके बीच का उत्पादन वितरण निर्धारित करना था.

बीज प्रमाणीकरण का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

बीज प्रमाणीकरण करने का प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है

  • बीज प्रमाणीकरण का उद्देश्य फसलों की अधिसूचित किस्मों का केन्द्रीय बीज प्रमाणीकरण मंडल द्वारा निर्धारित बीज प्रमाणीकरण के सामान्य नियमों तथा विभिन्न फसलों के विशिष्ट मानकों के अंतर्गत प्रमाणीकरण करना है, एवं उच्च गुणवत्ता के बीज की सामयिक उपलब्धता सुनिश्चित करना है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य बीज उत्पादन भंडारण संसाधन और प्रमाणीकरण के न्यूनतम समानकों को स्थापित करना है.
  • बीज प्रमाणीकरण का प्रमुख उद्देश्य बीज उत्पादकों को प्रोत्साहित करने वितरण करने पहचानने और उपयोग करने में सहायता प्रदान करना होता है.
  • किसानों को सर्टिफाइड बीजों तथा उनके महत्त्व का ज्ञान, अप्रूव्ड शैक्षिक प्रचार प्रसार माध्यमों द्वारा उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना होता है बीज प्रमाणीकरण का प्रमुख उद्देश्य अच्छे अनुवांशिक संगठन के शुद्ध बीजों को किसानों के लिए उपलब्ध कराना है.

प्रमाणीकरण हेतु फसलों/किस्मों की पात्रता एवं गुणवत्ता

सर्टिफिकेशन के लिए सिर्फ वे फसलें/किस्में ही बीज प्रमाणीकरण की पात्रता रखती है जो बीज अधिनियम -1996 की धारा-5 के अंतर्गत अधिसूचित की गयी हो.

बीज:- फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए स्वस्थ एवं अनुवांशिक रूप से शुद्ध बीज महत्वपूर्ण है

बीजों की श्रेणी एवं स्त्रोत

बीज उत्पादन के काम में प्रजनक से आधार, आधार से प्रमाणित एवं प्रमाणित -1 से प्रमाणित -2 श्रेणी के बीजों का ही पंजीयन किया जायेगा.

उन्नत बीज की चार प्रमुख श्रेणी है

  1. केंद्रीय बीज– केंद्रीय बीज प्रजनक मतलब कि वैज्ञानिक द्वारा स्वयं तैयार किया जाता है, जो अनुवांशिक रूप से 100% तक शुद्ध होती है.
  2. प्रजनक बीज– केंद्रीय बीज से प्रजनक बीज स्वयं वैज्ञानिकों की देख रेख में तैयार किया जाता है यह केन्द्रीय बीज की संतति होती है और यह बीज भौतिक एवं अनुवांशिक रूप से 100% तक शुद्ध होता है प्रजनक बीज के बोरे में पीले रंग का टैग लगा होता है.
  3. आधार बीज- इसका उत्पादन बीज प्रमाणीकरण संस्था की निगरानी में किया जाता है यह वैज्ञानिक द्वारा तैयार की जाती है आधार बीज के थैली पर सर्टिफिकेशन संस्था का सफ़ेद रंग का टैग लगा होता है.
  4. सर्टिफाइड बीज- यह बीज आधार बीज से तैयार किया जाता है लेकिन यह प्रमाणित बीज, उत्पादन बीज सर्टिफिकेशन संस्था की देख रेख में किया जाता है। यह भौतिक एवं अनुवांशिक रूप से शुद्ध होता है इसकी थैली पर सर्टिफिकेशन संस्था का नीले रंग का टैग लगा होता है, परगित फसलों में बीज दो पीढ़ी तक मानी किया जा सकता है.

प्रमाणित बीज का महत्व क्या है?

प्रमाणित बीज के निम्नलिखित महत्व है-

  1. प्रमाणित बीज अनुवांशिक एवं भौतिक रूप से शुद्ध होते है और इन पौधों में एकरूपता, गुणों में समानता एवं पकने का समय होता है.
  2. बीजों के अंकुरण क्षमता मानकों के अनुरूप होती है.
  3. बीज की जीवन क्षमता उत्तम, पुष्ट भरा एवं चमकदार होता है.
  4. सर्टिफाइड बीजों के उपयोग से सामान्य बीज की उपेक्षा उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की ज्यादा वृद्धि होती है.

प्रमाणीकरण के लिए फसल स्थिति एवं शस्य क्रियाएं

सीड सर्टिफिकेशन के लिए फसल उगाते समय सभी उत्पादक किसानो के लिए जरूरी है कि उन्हें कृषि सम्बन्धी कुछ नियमो का पालन करना चाहिए-

  1. खेत में बोई जाने वाली फसल एक ही किस्म की होनी चाहिए.
  2. खेत में एक ही श्रेणी तथा एक ही वंशानुगत पीढ़ी का बीज बोया जाना चाहिए.
  3. पूरे खेत में फसल की आयु एवं बाढ़ समान होना चाहिए.
  4. अन्य किस्मों के क्षेत्र के बीज निर्धारित मानक अनुसार पर्याप्त पृथककरण दूरी पर बोयी होनी चाहिए.
  5. संकर किस्मों के बीज के उत्पादन में नर एवं मादा पौधों की अलग अलग पंक्तियाँ लगायी जानी चाहिए और निर्धारित अनुपात (4:2) होना जरूरी है.
  6. फसल को यथासंभव रोग एवं कीटों से सुरक्षित रखना चाहिए.
  7. जो चीज़े बीज के स्तर पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं उनसे बीजों को बचाना चाहिए जिससे बीज वांछित गुणवत्तापूर्ण स्तर का प्राप्त हो.
  8. फसलों की कटाई से पहले खरपतवार एवं विभिन्न पौधों को खेत से अलग करना जरूरी होता है.

कटाई, गहाई एवं ढुलाई

मशीनों से बीज फसल की कटाई, गहाई एवं ढुलाई के समय फसल मिश्रण हो जाएँ तो उच्च कोटि का तैयार किया गया बीज एक में मिल जायेगा तो आपके द्वारा किया गया परिश्रम बेकार हो जायेगा.

प्रमाणीकरण संस्था के अधिकारी जहाँ आवश्यकता हो वहां कटाई, गहाई और ढुलाई आदि का समय समय पर जांच करते रहते हैं लेकिन संस्था द्वारा प्रत्येक कार्य की जांच करना सम्भव नही है. इसीलिए बीज उत्पादक किसानो को सभी कार्य पूरी जिम्मेदारी व ईमानदारी के साथ करना बहुत जरूरी होता है फिर भी उन्हें बीज खेत की कटाई, गहाई, ढुलाई आदि की तारीख निश्चित करके संस्था के किसी अधिकारी को कार्य प्रारंभ करने के कम से कम तीन दिन पहले सूचित करना चाहिए जिससे संस्था अगर इस बात को जरूरी समझे तो अपने प्रतिनिधि को निरीक्षण हेतु भेज सके.

कृषकों को इन सभी कामों में ये सावधानियां बरतनी जरूरी होता है:-

कटाई फ़सल काटने की मशीन से कटाई करने पर बीजों के मिश्रण की सम्भावना ज्यादा होती है सोयाबीन के बीज दो दालों में हो जातें हैं जिससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित होती है और बीज कट जाते है फ़सल काटने की मशीन को फसल कटाई के पहले अच्छी से साफ़ कर लेना आवश्यक होता है.

गहाई यही उत्पादन का काम एक से अधिक किस्मों का लिया गया हो तो गहाई करते समय अलग-अलग किस्मों के ढेर को उचित दूरी पर अलग-अलग करके रखें और एक वैराइटी की गहाई पूरी हो जाये तो उत्पादित बीज को बोरों में भर कर खलिहान से हटा लिया जाये उसके बाद खलिहान की अच्छी तरह से सफाई कर दूसरी किस्म की गहाई करे जिससे फसल एक में ही मिलने की सम्भावना न रहे.

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ढुलाई खलिहान से बीज बोरों में भर कर बोरों पर अपना नाम और फसल का नाम और किस्म लिखकर बोरों का मुहं बंद कर दिया जाता है उसके बाद किसी केंद्र पर ले जाकर उसकी तुलाई करवाकर उसकी रसीद जरुर लें, इस बात का ध्यान जरुर रखें कि बीज के साथ फसल निरीक्षण का अंतिम निरीक्षण प्रतिवेदन के बिना आपकी बीज प्रक्रिया प्रभारी स्वीकार नहीं होगा.

पृथक्करण दूरी कितनी होनी चाहिए

फसल की अनुवांशिक शुद्धता बनाये रखने के लिए बीज उत्पादन कार्यक्रम लेने वाले खेत एवं उसी फसल जाती की अन्य फसल बीज में पृथक्करण दूरी रखना जरूरी होता है.

विभिन्न फसलों के न्यूनतम पृथक्करण दूरी निम्नानुसार रखना आवश्यक है :

क्रमांक फसलों के नाम किस्म पृथक्करण दूरी
आधार बीज उत्पादन प्रमाणित बीज उत्पादन
1 धान सभी 3 मीटर 3 मीटर
2 रामतिल 400 मीटर 200 मीटर
3 मूंगफली 3 मीटर 3 मीटर
4 सोयाबीन 5 मीटर 3 मीटर
5 उड़द/मूंग 10 मीटर 5 मीटर
6 तिल 100 मीटर 50 मीटर
7 गेंहू 3 मीटर 3 मीटर
8 चना 10 मीटर 5 मीटर
9 सूर्यमुखी 400 मीटर 200 मीटर
10 अलसी 50 मीटर 25 मीटर
11 मक्का 400 मीटर 200 मीटर
12 मसूर 10 मीटर 5 मीटर
13 मटर 10 मीटर 5 मीटर
14 कुसुम 400 मीटर 200 मीटर
15 भिन्डी 400 मीटर 200 मीटर
16 कपास संकर 50 मीटर 30 मीटर
17 गन्ना 3 मीटर 3 मीटर

विभिन्न फसलों के अंकुरण का माप दंड कितना होना चाहिए

क्रमांक फसल का नाम अंकुरण प्रतिशत
1 धान – अलसी,रामतिल,तिल,बरसीम 80
2 गेंहू,चना,राई,सरसों 85
3 मक्का (संकर) 90
4 अरहर, उड़द,मूंग,मसूर,बरबटी 75
5 मूंगफली, सोयाबीन, सूर्यमुखी,(संकर) 70
6 कपास 65

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आज आपने क्या सीखा?

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि हमारा ये (Seed certification kya hai) आर्टिकल आपको काफी पसंद आया होगा और आपके लिए काफी हेल्पफुल भी होगा क्युकी इसमें हमने आपको Seed Certification (बीज प्रमाणीकरण) के बारे में पूरी जानकारी दी है

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